यहां आसमां धरातल से नित मिलने को आता हैं वीर प्रभु की शौर्य धरा पर आथित्य सुख को पाता है लिखने को तो लिखी जा सके अरबों अश्क कहानियां बिखरी बिखरी पड़ी हुई है पग पग पर कुर्बानियां यहां खड़ी हैं दृढ़ पहाड़ी, शिव को अर्घ चढ़ाती है खिरजा के दर्शन करने तो, स्वयं गौरी भी आती हैं क्या लिखूं मैं अमर कहानी, मेरा गांव निराला हैं कहीं खड़े हैं अजर उम्मेदे , शहीद प्रभु को पाला है कभी पूछा जन्नत का तो, कभी नहीं बतलाऊंगा हाथ पकड़कर लाकर उसको, खिरजा को दिखलाऊंगा माना तुझ पर नहीं खड़े हैं नवभारत के पाषाण यहां माना तुझमें नहीं जड़े हैं हीरों के बखाण यहां यहां नहीं है आधुनिकता, न सोने के द्वार हैं तूं जैसा भी है ए खिरजा , मुझे तुझसे प्यार हैं 🖋️ तनेंद्र सिंह खिरजा ©तनेंद्र सिंह राठौड़ #village #khirjan