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सपना कुछ और ही देखा था,पर वक्त ने कुछ और ही दिखा द

सपना कुछ और ही देखा था,पर वक्त ने कुछ और ही दिखा दिया,, 
मंजिल कहीं और था मेरा पर रास्ते कहीं और ले गए
मुझे भी शोक था बचपन में खुशी से गांव में रहूं। 
पर हालातों ने शहर आने के लिए मजबूर करदिया। 
और मेहनत किया मेने बेहद,, पर परेशानी कभी कम नही हुवा , 
चादर ओढ़ के मेने पेर फेला कर देख लिया 
बाहर निकल जाते है पैर येमेने आजमा के देख लिया
 और जिंदगी में कितना भी कमाओ कम ही पड़ता है 
ये मेने दिन रात कमा कर देख लिया,, 
। मैं भी थक चुका था इस ज़िंदगी से,
 पर इसका मतलब यह नहीं कि जिंदगी जीना छोड़ दूं,,
 जिंदगी से हार जाऊं ,,, मैं जब थक जाता हूं तो अपने मां ,
बाप से ,अपनी बचपन की कहानी सुनाने को कहता हूं ,
और कहता हूं की मुझे कितनी तकलीफ में पाला है ,और वो जब बताते है,
तो आखों से आंसो बहने लगता है ,और में यही सोचता हूं,
मेरी तकलीफ कुछ भी नही ,और मुझे एक नई उम्मीद नजर आता है,
की कभी जिम्मेदारी से पीछे मत हटना,बस सब्र करना ,
हम जितना बुरा कहते ही जिंदगी को ,ये उतनी भी बुरी नही है, 
और मैं बस इतना कहूंगा कि जिंदगी बहुत हसीन है ,
इसे व्यर्थ जाया मत करना, ईसे जीना अपने मां बाप के लिए 
अपनेभाई बहनों के लिए अपने बच्चों के लिए जीना ,
और खूब आगे बढ़ना, कभी गलत कदम मत उठाना, 
कि आपके गलत कदम उठाने से पूरी फैमिली को परेशानी हो, 
क्योंकि हर इंसान के दिमाग में येही आता है, 
कि यार इस परेशानी को कैसे खत्म किया जाए ,
पर वह खत्म खुद ब खुद हो जाता है, बस आप चलते रहो लड़ते रहो 
उन परेशानियों से जो आपके आसपास है, फिर आप आगे जरूर बढ़ आओगे 
वक्त जरूर आपका साथ देगा किस्मत जरोर बदलेगी ,शुक्रिया
         ✍️Asad khan

©Asad Khan
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