अजीब मुशायरे में फंसी है जान, सभी शायर हैं यहाँ श्रोता कहीं नहीं, यहाँ सवाल भी शायरी में होता है और जबाब भी। हम अर्ज करते हैं एक शेर, इरशाद में आठ दस वापस आ जाते हैं।। #अंकित सारस्वत# #मुशायरा