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Unsplash जो हँसना चाहता है, उसे भी रोना सिखा देत

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जो हँसना चाहता है, उसे भी रोना सिखा देती है,
यह ज़िंदगी है साहब, ज़िंदों को भी मुर्दा बना देती है।

सपने दिखाती है पल-पल, फिर उन्हें तोड़ भी जाती है,
यह ज़िंदगी है साहब, पल में अपने रंग बदल जाती है।

©Dinesh Kumar Pandey  poetry in hindi
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जो हँसना चाहता है, उसे भी रोना सिखा देती है,
यह ज़िंदगी है साहब, ज़िंदों को भी मुर्दा बना देती है।

सपने दिखाती है पल-पल, फिर उन्हें तोड़ भी जाती है,
यह ज़िंदगी है साहब, पल में अपने रंग बदल जाती है।

©Dinesh Kumar Pandey  poetry in hindi