क्या मांग लिया था मैने तुम से..?? दो पल की मोहब्बत और क़तरा भर तवज्जों बहुत ज़्यादा था क्या..??पलट कर मुस्करा देना अजनबी समझ कर ही सही,घावों को मरहम लगा देना बहुत करीने से बिखरी मै,एक बार फ़िर से,नहीं बेहतर भी हैं बेवजह के ख़्वाबों की और जज़्बातों की,क़ीमत तो चुकानी पड़ती ही हैं और क्या ही जुर्म था मेरा,बस इतना, के तुम से बेइंतहा मोहब्बत हो गई मुझे,यक़ीन करो बस में होता ना,तो नहीं करती मुझे शायद मेरे हशर का अंदाज़ा तो था मुझ से कह देते,नहीं चाहिए तुम्हे,मेरी मौजूदगी ज़िंदगी में अपनी नहीं हु मैं, क़ाबिल तुम्हारे,नहीं देती दस्तकें तुम्हारे दिल पे बार बार हर बार इस तरह मेरे मासूम से मन को,तोड़ देना ज़रूरी था क्या अरे!ज़िंदगी से मुझे वैसे भी बहुत अज़ाइश नहीं हासिल तुम समंदर हो अच्छा हैं,ज़र्फ़ कतरे का भी होता हैं मग़र मैं तुम से दो रूखे लफ़्ज़ सुन कर भी खुश थी मैं तुम्हे देख कर भी खुश थी,मैं तुम्हारे होने में भी खुश थी मैं तुम्हारी खुशबू में,तुम्हारी दोस्ती में भी खुश थी मैं अपनी बेवजह की खुशफहमी में भी खुश थी मैं खुश थी,शायद यही गलती थी मेरी,मैं चाहूं भी तो अब हिसाब नहीं हो सकता बहुत सस्ते में बहुत घायल हो गया मन मेरा,मैं,हु भी अजीब सी उम्मीदें लगा कर बैठ जाती हु,इतनी बड़ी दुनिया हैं इतने सारे पहलू है और मुझे लगा मासूम मोहब्बत सबसे क़ीमती होती होगी रद्दी होती हैं,समझ लिया मैने तुम शायद लफ्ज़ों में अटक कर रह गए,मेरी आंखे नहीं पढ़ पाए कभी बेवजह की कोशिशें और बेतुके सवाल नहीं दे पाए तुम्हे गवाही मेरे मासूम इश्क़ की क्या कभी मेरी खामोशी ने तुम से चीख कर नहीं कहा के कितना चाहती है तुम को ये,मैं भी पागल,सारा फ़साद चाहत का ही तो है मैं चाहती हु,तुम नहीं,रवैए से समझाया तो था तुम ने आसानी से मान भी नहीं पाती मैं,आख़िर तक कोशिशें करने की मेरी बुरी आदत,उफ्फ,मेरे सारे डर सच हो गए मैं बिखर गई फिर से,इतनी मुश्क़िल से सहेजा था खुद को अब हिम्मत भी नहीं बची,और ख़ुद से नाराज़गी भी पहले से और ज्यादा हैं इकतरफा इश्क़ वो भी आज के दौर में,यक़ीनन खुदकुशी का इरादा हैं.... सिर्फ जिस्म पर घाव नहीं होते,दिल भी लहूलुहान हो जाता हैं कभीं कभी मुमकिन है,बाद सांसों के थोड़ा तो सुकून पाऊं,अब तो रब से दुआ हैं मैं तुम को भूल जाऊ...!! ©ashita pandey बेबाक़ #Thinking लव शायरी हिंदी में खतरनाक लव स्टोरी शायरी लव स्टोरी