आदतों ने हरा दिया,जीती हुई बाज़ी रिस्तो और दुनिया से बन गयी फाँसी समय होते हुए भी खोया खुदको मैं जब पता था गलत है ये रंगीन दुनिया की यारी उठता था फिर दब जाता था, पल भर की खुशियों के लिए मैं हट जाता था देखा था बर्बादी किय्यो की फिर भी, मैं अपने ही धुन में मगन हो जाता था, है समय इस पल यार खुशियो की लग सकती है अभी भी कतार, सोच लिया अगर मैं अभी और आज, हो सकता है जीवन का नया आगाज़।। मेरी सच्चाई😣😣 #munasif_e_mirza #socially_silly