प्यार के तिनको से आशियाना बनाने चले थे छोटे छोटे पंखों से ऐश हम आसमां छूने चले थे ना जाने क्यों समय की उस तेज आंधी ने थोड़ी पलके क्या झुकाई आंख खुली तो ऐश हम कब्र में भी उजडे पड़े थे