एक असहाय जीवन है,या फिर है कई विकल्प मौत हक़ीक़त क्या है फिर? सारे रहे यहां विफल। सब सुख, शांति खोजते रहे मौन मिला बस मरकर। पीड़ा से भी बढ़कर पीड़ा है क्या इस दुनिया में? स्वार्थ ,घमंड,सारा जलता आखिर अग्नि में। जीने की भावना में कितने ही हम लीन हुए ख़ुद को अमर समझने वाले भी इस मिट्टी में विलीन हुए। आखरी वक़्त,और आखरी साँस में कुछ न काम आएगा हक़ीक़त यही है बंधे हर शख्स यहाँ से जाएगा। #ATULPETHARI ज़िन्दगी क्या है? #Poetryworld #Shayrilife #zindgi #Nojoto #Atulpethari