किसान मजदूर आंदोलन को समर्पित मेरे द्वारा रचित एक कविता "आक्रोश" जोश बहुत है, होश बहुत है। किसान-मजदूरों में आक्रोश बहुत है। मेहनत ये दिन रात करे, सबका अन्न से पेट भरे, खून-पसीना बहाकर अपना, देश का ये निर्माण करें। देशप्रेम व दया है दिल में, लोभ नहीं संतोष बहुत है....... छोटू राम और अंबेडकर ने हमको जो अधिकार दिए काले कानून बनाकर मोदी ने वापस हमसे छीन लिए अपने अधिकार बचा लो लोगों वरना होगा Lose बहुत है देश-भक्ति का नाटक करते, देश के साथ गद्दारी करते, जो भी सवाल करे इनसे है उसको देशद्रोही कहते। लेकिन देश बचाने खातिर, उठे भगतसिंह, बोस बहुत है..... लाल किला और रेलवे बेची शिक्षा और विद्यालय बेचे, एयरपोर्ट, बैंक, फैक्ट्री, न्याय और न्यायलय बेचे। फिर भी मोदी-मोदी करते, ऐसे एहसान-फरामोश बहुत है.... है जो चौथा स्तंभ देश का, कर्तव्य अपना भूल रहा, तलवे चाट रहा सत्ता के गोदी में उनकी झूल रहा। जनता के मुद्दों पर मीडिया, देखो आज खामोश बहुत है.... 'मन की बात' करे है हरदम, जन की बात नहीं करता, झूठे वादों और जुमलों से, सुनलो पेट नहीं भरता। तानाशाह बन आज नशे में, सत्ता के, मदहोश बहुत है..... धर्म की राजनीति तू करता लोकतंत्र की हत्या करता संविधान में फेरबदल कर संघ के सपने पूरे करता जनता जब जागेगी उस दिन होगा तूझे अफसोस बहुत है...... विजय विद्रोही ©Vijay Vidrohi #किसानआंदोलन"आक्रोश" Rajan Lalit yadav ARVIND YADAV MONU CHOUDHARY ram singh yadav vishal yadav