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तन्हाई मे हम आसमां से गुफ्तगू करते थे, वो चुपचाप स

तन्हाई मे हम आसमां से गुफ्तगू करते थे,
वो चुपचाप सुनता और हम दिल की हर बात कहते थे। 
हम रहते तो थे जमीं पे लेकिन दोस्ती उन तारों से थी,
जब हम हंसते वो भी टिमटिमा कर हंसा करते थे। 

उन दिनो हमे याद तुम्हारी कम आया करती थी,
यूं हि चांद-तारो से गुफ्तगू करते करते 
शबें हमारी गुजर जाया करती थी। 
हां दिन काटना थोडा मुश्किल होता था पर,
अगली शाम के इंतजार मे वो भी ढल जाया करती थी।

©Mr Sumit Kr Yadav रात से गुफ्तगू...
#हिंदी #शायरी #गज़ल #कविता #तन्हा
तन्हाई मे हम आसमां से गुफ्तगू करते थे,
वो चुपचाप सुनता और हम दिल की हर बात कहते थे। 
हम रहते तो थे जमीं पे लेकिन दोस्ती उन तारों से थी,
जब हम हंसते वो भी टिमटिमा कर हंसा करते थे। 

उन दिनो हमे याद तुम्हारी कम आया करती थी,
यूं हि चांद-तारो से गुफ्तगू करते करते 
शबें हमारी गुजर जाया करती थी। 
हां दिन काटना थोडा मुश्किल होता था पर,
अगली शाम के इंतजार मे वो भी ढल जाया करती थी।

©Mr Sumit Kr Yadav रात से गुफ्तगू...
#हिंदी #शायरी #गज़ल #कविता #तन्हा
sumitkr5807

Sumit Yadav

New Creator

रात से गुफ्तगू... हिंदी शायरी गज़ल कविता तन्हा