Hurt ऐ खुदा तू इतना अब करम कर दे नासूर ज़ख्मों का मेरे मरहम कर दे भटक रहीं हूं कबसे अंजान राहों में हूं लापता, दूर मुझसे ये भ्रम कर दे रूठी हुई कबसे मंज़िल मेरी मुझसे मिलेगी वो, हौसला ये कदम कर दे करना तय सफर तन्हा, है पता मुझको लगता लंबा बहुत, ज़रा सा कम कर दे क्या पाया क्या गंवाया क्या जानूं मैं हिसाब मेरी ज़िंदगी का अब स्वयं कर दे