_______कोने_में_कविता_________ मैं कोई-न-कोई कोना कायनात में कविता के लिए तलाशता रहता हूँ किंतु कविता कायनात में कभी कोई कोना नहीं तलाशती मुझसे मिलने के लिए!! जब-जब टूटता हूँ, कविता मिल जाती है किंतु कविता किसी को दिखाई देती नहीं क्योंकि कविता केवल कल्पना है इसलिए या मुझे मिथक होना पड़ता है अथवा मुझे मिथक में खोना पड़ता है वा रोना पड़ता है और रोज़ रात को देर से सोना पड़ता है। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #कोने_में_कविता Please read my latest poem Jain Vishal संजय सिंह भदौरिया inayath ulla dhanyasajeev