कोई नव कड़ी जुड़ी शायद तेरे रूपाली विन्यास में , फकीरा वो भी लौट आया जो गया था कभी सन्यास में !! कैसे - कैसे वो सारे रतजगे हुये , कैसी-कैसी नजरों से देखा हर सवेरा ; अन्ततः फिर जब तेरा स्वप्न आया आँखों के पास में, लगा जैसे कोई चिर निंद्रा टूट गई हो अनायास में ! चला, दौड़ा, थका, गिरा, उठा फिर हुआ रक्तस्राव भी, जब टूट खड़ाऊँ लगी चोट और कराहाई हर श्वाँस भी ; मगर कैसे आने देता दरार खुदा फकीरे के विश्वास में , लड़खड़ाता हुआ फकीरा अन्ततः आ पहुँचा तेरी परास में ! बताओ कौनसी नवल कड़ी जुड़ी रूपाली तुम्हारे विन्यास में, जो फकीरा वो भी लौट आया जो गया था कभी सन्यास में !! रूपाली- सुन्दरता, रूप वाली विन्यास - सुसज्जित परास- area jaha tak jiska effect rehta h खड़ाऊँ - चप्पल तहे दिल से आभार हमारी लेखनी को याद फरमाने हेतु ! 🙏🙏 Chulbul g