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ख़ामोश तमाशाई के सर तक भी आएगी, ये जंगल की आग है घर

ख़ामोश तमाशाई के सर तक भी आएगी,
ये जंगल की आग है घर तक भी आएगी।

तू हँस रहा है क्या मेरे जलते हुए घर पर ?
बदला रुख़ हवा का तो तेरे दर तक भी आएगी।


                             कृष्ण गोपाल सोलंकी
                             8802585986
ख़ामोश तमाशाई के सर तक भी आएगी,
ये जंगल की आग है घर तक भी आएगी।

तू हँस रहा है क्या मेरे जलते हुए घर पर ?
बदला रुख़ हवा का तो तेरे दर तक भी आएगी।


                             कृष्ण गोपाल सोलंकी
                             8802585986