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हम गांव से निकल कर जब से शहर आ गए है कितने ही मस

हम गांव से निकल कर जब से शहर आ गए है 

कितने ही मसले मेरे घर आ गए है 

अभी एक पैसे की कमाई का सहारा नही मिला 

की घर का किरया बिजली के बिल आ गए हैं 

 सुब ह निकलता हूँ तलाश ए रोजगार में 

शाम होते ही लौट आता हूँ  शक्स बेकार मे

इससे  बेहतर तो मेरा गाँव था 

जहा मा बाप का साया मेरी छाव था 

दर्द की इस दास्ताँन से हाल ए दिल परेशान से उकता गया हूँ 

मैं लौट कर फिर अपने गाँव आ गया हूँ

©Riyashaikh
  It'sficklemoonlight Bhardwaj Only Budana Sheikh imran (Amitabh bachan)  Dhruvam Pathak Mohit Sharma