लगता है टूट कर बिखर गई थी मानो अभी अभी संभालना ख़ुद को सीखा है दर्द से दूर दूर तक कोई रिश्ता नहीं था मेरा मानो अभी अभी ज़ख्म छुपाना सीखा है क्या कहूं क्यूं इतनी बेचैन थी मैं तुम जो मुझसे दूर जा रहे थे कब तक रोक पाती अपने अस्कों को ये जो अपने अतीत को छुपा रहे थे सिर्फ़ चश्मा लगा था आंखों पर आंसू तो साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे मंज़िल काफी दूर दिख रहा था लेकिन जिंदगी पहेली सुलझा रही थी रिश्ते तोड़ देना या बिना कुछ समझे साथ छोड़ देना जिंदगी जीने का ये सही तरीका तो नहीं है ,,,,,,,,,,, __________________________________________ छोड़ दिया न मुझे