मनुष्य के अंत:करण के भावों और कल्पना की अभिव्यक्ति हूँ मैं। वेगस्वरूप रागों की मनोवृत्तियों का सृष्टि के साथ सामंजस्य हूँ मैं। सृष्टि के नाना स्वरूपों के साथ रागात्मिका का आत्म संबंध हूँ मैं। प्रेम, क्रोध, करूणा व घृणा आदि मनोवेगों को करती स्पष्ट हूँ मैं। कभी श्रृंगार, कभी करुणा,रस के नौ भेदों का संयोग वियोग हूँ मैं। हिंदी काव्य को अग्रसर कर प्रचार प्रसार करने का संकल्प हूँ मैं। मनोभावों को उत्साहित कर जीवन में नयी जान डाल देती हूँ मैं। सृष्टि के सौंदर्य का बखान करके सुंदर शब्दों में उतार देती हूँ मैं। कभी उत्साह, कभी हताशा और कभी विचलित भी कर देती हूँ मैं। सच्चाई से रूबरू कराती, दिल को करुणा से विहृल कर देती हूँ मैं। हृदय की स्तबधता मिटाकर, मनुष्यता से भरने का एक प्रयास हूँ मैं। मनोरंजन की शक्ति है तो, हृदय के मर्म स्थलों को भी स्पर्श करती हूँ मैं। मनुष्य के हृदय को उन्नत करती, अलौकिकता से परिचय कराती हूँ मैं। संसार के हर रूप को दर्शाती, हकीकत से रूबरू कराती कविता हूँ मैं। 👉 #collabwithपंचपोथी 👉 विषय - कविता हूँ मैं 👉 प्रतियोगिता- 13(मुख्य) __________________________________ 👉 समय - 24 घंटे तक 👉 collab करने के बाद comment में done लिखे 🍬 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।