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मृषा मृत्यु का भय है, जीवन की ही जय है, जीव की जब

मृषा मृत्यु का भय है,
जीवन की ही जय है,
जीव की जब जमा रहा है,
नित नव वैभव कमा रहा है,
यह आत्मा अक्षय है,
जीवन की ही जय है,
नया जन्म ही जग पाता है।

©AbhiJaunpur
  #मैथिलीशरण_गुप्त #मैथिली #जन्मदिवस