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कभी जिस गली में मेरी महफिलें सजती थी आज वो गली क्य

कभी जिस गली में मेरी महफिलें सजती थी
आज वो गली क्या शहर छोड़ आए।
कभी जो आसमानी धूप खास लगती थी
आज वो सर्द मौसम छोड़ आए।
सिरफिरे है थोड़े, थोड़े जिद्दी है हम
क्या बताए यारो कैसे, उनके खातिर अपना हक छोड़ आए।।
वो कहते है उन्हें बेहद इश्क़ है हमसे
सफर में थोड़ा हमने इश्क़ क्या छिपा ली उनसे
तो यारो वो पंसारी की तरह मुझपर इश्क़ का कर्ज छोड़ आए।।।
कोई चांद तारा या आसमान का साथी नहीं मेरा इश्क़, ये इश्क़ तो समंदर है
 पर कैसे बताए  उनको की  उनकी इबादत में हम अपनी प्यारी जमीं छोड़ आए।।।।
अब भी पूछते है हमसे की कितना इश्क़ है हमसे?
क्या अपना इश्क़ जताते उनको एहसान की तरह
तो लो यारो आज हम उनके लिए अपना इश्क़ छोड़ आए।।।। #ishq #shayari #hindi
कभी जिस गली में मेरी महफिलें सजती थी
आज वो गली क्या शहर छोड़ आए।
कभी जो आसमानी धूप खास लगती थी
आज वो सर्द मौसम छोड़ आए।
सिरफिरे है थोड़े, थोड़े जिद्दी है हम
क्या बताए यारो कैसे, उनके खातिर अपना हक छोड़ आए।।
वो कहते है उन्हें बेहद इश्क़ है हमसे
सफर में थोड़ा हमने इश्क़ क्या छिपा ली उनसे
तो यारो वो पंसारी की तरह मुझपर इश्क़ का कर्ज छोड़ आए।।।
कोई चांद तारा या आसमान का साथी नहीं मेरा इश्क़, ये इश्क़ तो समंदर है
 पर कैसे बताए  उनको की  उनकी इबादत में हम अपनी प्यारी जमीं छोड़ आए।।।।
अब भी पूछते है हमसे की कितना इश्क़ है हमसे?
क्या अपना इश्क़ जताते उनको एहसान की तरह
तो लो यारो आज हम उनके लिए अपना इश्क़ छोड़ आए।।।। #ishq #shayari #hindi