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नहीं चाहिए धन और दौलत,     जीने का अधिकार तो दो न।

नहीं चाहिए धन और दौलत,
    जीने का अधिकार तो दो न।
         बीती रैना अंसुअन डूबी,
              हँसने को संसार तो दो न।

छोड़ा बाबुल का घर हमने,
    आँखों में सपने हज़ार लिए।
         न पूरी हो तुमसे आशा, 
             पर रमने को कुछ प्यार तो दो न।

हिय में तेरे बसती हरदम,
    तेरी आँखों में दिखता है।
        फिर भी न यदि स्वीकार तुम्हें,
              जाने की कोई राह तो दो न ।

नख से शिख तक तुझमें डूबी,
    संसार मिथ्या तेरे आगे।
        पर तुझे छोड़ आगे बढ़ जाऊँ,
              बढ़ने को इनकार तो दो न ।।

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©Neel
  इनकार 🍁
archanasingh1688

Neel

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Growing Creator

इनकार 🍁 #कविता

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