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..... सुनो तो,.. किस रोज़ मेरे बालकनी में आना और आक

..... सुनो तो,.. किस रोज़ मेरे बालकनी में आना और आकर हवा सा मुझसे लिपट जाना,..मैं आँखें मूँद कर महसूस करूंगी तुम्हारी छुअन ,..तुम छूकर मुझे चुपके से मेरे करीब बहुत करीब से होकर गुजर जाना..

मुझे देख कर तुम्हारे गालों पर पड़ते गड्डे सबूत हैं मेरी लिए तुम्हारी पाक और निहाँ सी मुहब्बत का जिसका जिक्र तो तुमने मुझसे कभी किया नहीं
पर ये मत समझना के मुझे भी इल्म ही नहीं. तुम्हारी रग-रग से वाकिफ हूँ मैं,..मालूम है ना चेहरे पढ़ती हूँ मैं,. और हाँ तुम्हारी तरह छुपारुस्तम तो बिल्कुल नहीं,

हाँ तो मैं कह रही थी,..
कि,.
..... सुनो तो,.. किस रोज़ मेरे बालकनी में आना और आकर हवा सा मुझसे लिपट जाना,..मैं आँखें मूँद कर महसूस करूंगी तुम्हारी छुअन ,..तुम छूकर मुझे चुपके से मेरे करीब बहुत करीब से होकर गुजर जाना..

मुझे देख कर तुम्हारे गालों पर पड़ते गड्डे सबूत हैं मेरी लिए तुम्हारी पाक और निहाँ सी मुहब्बत का जिसका जिक्र तो तुमने मुझसे कभी किया नहीं
पर ये मत समझना के मुझे भी इल्म ही नहीं. तुम्हारी रग-रग से वाकिफ हूँ मैं,..मालूम है ना चेहरे पढ़ती हूँ मैं,. और हाँ तुम्हारी तरह छुपारुस्तम तो बिल्कुल नहीं,

हाँ तो मैं कह रही थी,..
कि,.
alpanabhardwaj6740

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सुनो तो,.. किस रोज़ मेरे बालकनी में आना और आकर हवा सा मुझसे लिपट जाना,..मैं आँखें मूँद कर महसूस करूंगी तुम्हारी छुअन ,..तुम छूकर मुझे चुपके से मेरे करीब बहुत करीब से होकर गुजर जाना.. मुझे देख कर तुम्हारे गालों पर पड़ते गड्डे सबूत हैं मेरी लिए तुम्हारी पाक और निहाँ सी मुहब्बत का जिसका जिक्र तो तुमने मुझसे कभी किया नहीं पर ये मत समझना के मुझे भी इल्म ही नहीं. तुम्हारी रग-रग से वाकिफ हूँ मैं,..मालूम है ना चेहरे पढ़ती हूँ मैं,. और हाँ तुम्हारी तरह छुपारुस्तम तो बिल्कुल नहीं, हाँ तो मैं कह रही थी,.. कि,. #microtalelover