हम भी पीड़ित है बहुत कुछ व्यवस्थाओं के शिकार है हम भी है बहुत इन्तज़ार का हुनर हमको नही आता धन्य है वो जिन्होंने वर्ष लम्बा है अबतक काटा आहे दिल से हर आवाज़ पर निकलती हैं हर बात पर अब पलकें सकुचाती है सुन सुन कर दुनिया जमाने का ताना अब भूल जाने लगे हैं हम रिवायते निभाना नज़रे सबकी हमसे बस एक ही सवाल करती हैं कब शुरु करोगे ज़माने के साथ साथ चलना छुट गई पीछे कई हसीन राहे रास्ता मेरा अब भी मंज़िल मंज़िल महज़ ही को पुकारे । ©gudiya #पीड़ित #व्यवस्था #ज़माना #Nojoto #WorldBloodDonorDay