हमने टूटने और बिखरने का चलन मांग लिया हालात से शीशे का बदन मांग लिया हम भी खड़े थे तकदीर के दरवाजे पर लोग दौलत पर गिरे हमने वतन मांग लिया || ||बिजेन्द्र सिंह|| अपना वतन अपनी शान