अब तलक उसको ध्यान हो मेरा। क्या पता ये गुमान हो मेरा । तेरे ख़त रात भर यूँ पढ़ता हूँ, जैसे कल इम्तिहान हो मेरा। # jubair ali tabish bhai# ©Azeem Khan #jubair ali tabish poetry#