जिन्दगी की जरूरतें क्या कुछ नही करवाती ,
पूरा करने की चाहत में मैं बहुत थक जाता हूं ,
घर से निकला था मां के कदमों को चूम कर ,
कामयाब तो हो रहा हूं पर बहुत थक जाता हूं ,
पहली बार घर से दूर निकला हूं मंजिल पाने ,
चलता रहता हूं राह में पर बहुत थक जाता हूं ,
कई तरह के लोग मिले कुछ अच्छे तो बुरे भी , #कविता#Trees