जो कभी जी नहीं जिसकी रही तलाश सदा ख़ुद को ढूंढती झड़ती गयी कतरा कतरा न जी सकने पे ख़ुद के आज बेहद रंजीदा है ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र जाने पे अपने बड़ी हैरां है 15/10/20 YourQuote Baba