लड़का-बीच में पर्दा न रख मेरी महबूबा तेरी जुल्फों का शिल्पकार हूं इस चांद से मुखड़े का दीदार करने दे तेरी भोली सूरत को निहारने के लिए बेकरार हूं लड़की -मुझ पर सितम न ढा जमाने से डरती हूं बस चले मेरा तो सारे जहां के परदे हटा दूं उसके अंजाम सोचकर मरती हूं लड़का- तेरी जद्दोजहत समझता हूं आशिक हूं आशिकी करता हूं तू क्यों डरती है इस खोखली दुनिया से दिल ओ जान से प्यार करता हूं लड़की -इस प्यार की सीमाओं को मत लांघो इसे परदे में रहने दो जमाने की बनाई रीत को सजदा करने दो लड़का- समाज की बनाई इस रीत को में पैरों से कुचलता हूं बीच में पर्दा न रख मैं अब भी कहता हूं । ©NISHA DHURVEY बीच में पर्दा न रख #pardaa #parda