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ये वक़्त बहुत बेगैरत है, वक़्त कि चाल हीं बहुत असह

ये वक़्त बहुत बेगैरत है,
वक़्त कि चाल हीं 
बहुत असहज है,
फ़र्क़ करता हेै अमीर-गरीब मे,
वक़्त का पहिया एेसा घुमता 
कि अमीर गरीब के घर
दस्तक देने से भी कतराता, 
फिर उसे हीं अपना
दास बनाकर अपने घर का काम कराता, 
गरीबों के घर दस्तक देकर 
उसके हाथ का खाना खाने 
से हिचकिचाता,
फिर उससे हीं अपना दास 
बनाकर अपने घर का खाना बनवाता 
अब बस करो जनाब, 
बीमारी किसी कि गरीबी देखकर 
दस्तक नहीं देती, 
और खाने पर अमीरी कि परत नही होती, 
एक ही काया है सबकी
मरने के बाद एक ही मिट्टी मे 
समाना है |



 #Life #equality #TimeChanges #peoplethinking
ये वक़्त बहुत बेगैरत है,
वक़्त कि चाल हीं 
बहुत असहज है,
फ़र्क़ करता हेै अमीर-गरीब मे,
वक़्त का पहिया एेसा घुमता 
कि अमीर गरीब के घर
दस्तक देने से भी कतराता, 
फिर उसे हीं अपना
दास बनाकर अपने घर का काम कराता, 
गरीबों के घर दस्तक देकर 
उसके हाथ का खाना खाने 
से हिचकिचाता,
फिर उससे हीं अपना दास 
बनाकर अपने घर का खाना बनवाता 
अब बस करो जनाब, 
बीमारी किसी कि गरीबी देखकर 
दस्तक नहीं देती, 
और खाने पर अमीरी कि परत नही होती, 
एक ही काया है सबकी
मरने के बाद एक ही मिट्टी मे 
समाना है |



 #Life #equality #TimeChanges #peoplethinking