फौज में मौज है हजार रुपए रोज है थोड़ा सा गम है इसके लिए भी रम है जिंदगी थोड़ी रिस्की है इसके लिए तो व्हिस्की है खाने के बाद फ्रूट है मरने के बाद सलूट है पहनने के लिए ड्रेस है ड्रेस में जरूरी पेश है सुबह-सुबह पीटी है वार्निंग के लिए सिटी है चलने के लिए रूट है पहनने के लिए बूट है गलती करो तो पनिशमेंट है जीते जी टेंशन है मरने के बाद पेंशन है कहते हैं फौजी आधा पागल होते हैं सही कहते हैं पागल होना भी चाहिए वरना किस में इतना दम होगा जो 60० के गलेसियर में और +55० के रेगिस्तान में दुश्मन के आगे सीना चौड़ा करके खड़ा हो जाए यह हर किसी के बस की बात नहीं जय हिंद