Nojoto: Largest Storytelling Platform

फौज में मौज है हजार रुपए रोज है थोड़ा सा गम है

फौज में मौज है
 हजार रुपए रोज है
 थोड़ा सा गम है
  इसके लिए भी रम है
 जिंदगी थोड़ी रिस्की है
 इसके लिए तो व्हिस्की है
 खाने के बाद फ्रूट है
  मरने के बाद सलूट है
  पहनने के लिए ड्रेस है
 ड्रेस में जरूरी पेश है
 सुबह-सुबह पीटी है
 वार्निंग के लिए सिटी है
 चलने के लिए रूट है
 पहनने के लिए बूट है
गलती करो तो पनिशमेंट है
 जीते जी टेंशन है
 मरने के बाद पेंशन है 
कहते हैं फौजी आधा पागल होते हैं
सही कहते हैं पागल होना भी चाहिए
वरना किस में इतना दम होगा जो
60० के गलेसियर में और 
+55० के  रेगिस्तान में दुश्मन के आगे
 सीना चौड़ा करके खड़ा हो जाए
 यह हर किसी के बस की बात नहीं
 जय हिंद
फौज में मौज है
 हजार रुपए रोज है
 थोड़ा सा गम है
  इसके लिए भी रम है
 जिंदगी थोड़ी रिस्की है
 इसके लिए तो व्हिस्की है
 खाने के बाद फ्रूट है
  मरने के बाद सलूट है
  पहनने के लिए ड्रेस है
 ड्रेस में जरूरी पेश है
 सुबह-सुबह पीटी है
 वार्निंग के लिए सिटी है
 चलने के लिए रूट है
 पहनने के लिए बूट है
गलती करो तो पनिशमेंट है
 जीते जी टेंशन है
 मरने के बाद पेंशन है 
कहते हैं फौजी आधा पागल होते हैं
सही कहते हैं पागल होना भी चाहिए
वरना किस में इतना दम होगा जो
60० के गलेसियर में और 
+55० के  रेगिस्तान में दुश्मन के आगे
 सीना चौड़ा करके खड़ा हो जाए
 यह हर किसी के बस की बात नहीं
 जय हिंद