बचपन और माँ हम में से अधिकतरों का बचपन गिल्ली-डंडा व गुलाम-डांडा खेलते तथा पतंग उड़ाते बीता है। इन खेलों में जो मानसिक व शारीरिक आनंद आता है, वो कम्प्यूटरजनित खेलों में कहां? ये देसी खेल अब तो आजकल के बच्चों के मनोरंजन से निहायत ही बाहर होते जा रहे हैं, क्योंकि वीडियो गेम, टीवी, कम्प्यूटर व मोबाइल ने इन खेलों की जगह ले ली है। आजकल के बच्चों को फटाफट खेल पसंद हैं। मैदान में खेलने से शारीरिक व मानसिक विकास होता है, जो अब नदारद-सा होता जा रहा है। #BachpanAurMaa #shyari #love #quotes