तुमने नहीं किया गर, तो यह किस शख़्स ने किया होगा, इंसान को इंसान नहीं,हिन्दू मुसलमा कह के बांट दिया होगा, टुकड़े कर दिए हैं एक जिस्म के दो-दो सरे राह, एक को हिंदुस्तान दूजे को पाकिस्तान कहा होगा, और तुम बात करते हो गोली बरूदों की सरहदों पे, क्या किसी ने सरहद पे कभी ग़ज़ल पढ़ने कहा होगा, ईद पे सेवियां तो मिल के बहुत खाते हो जनाब, इसलिए तुमने भी होली दीवाली पे रंग मल दिया होगा, पर क्या कभी सोचा है बैठ के तुमने गौर से... की क्यों एक मां के दो लाल को उन्होंने बांट दिया होगा Abhishekism💕 #abhishekism #poem #poeticatma @poeticatma #poeticvolumes