विद्या अंश नहीं रहा भारत में आज भूल गए स्मृतियां, छूट गई भारतीयता, आंख मीच ली नई पीढ़ी ने भी, यही भाग्य में है शायद इस देश के। विश्वभर में कितने कानून हैं व्यसन मुक्ति के, क्या कम हुआ