इश्क़ में कुछ पाने की थी जिनको तलाश अपना सब कुछ लुटा के लौटे वो हताश। डूबने की फितरत से उतरे थे जो दरिया में दरिया-ए-इश्क में मोती लगे उनके ही हाथ। दरिया-ए-इश्क़