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जीवन में समय चाहे सुख की हो या फिर दुःख की हो अपनो

जीवन में समय चाहे सुख की हो या फिर दुःख की हो अपनो का साथ अत्यंत आवश्यक होता है।सुख हो तो बढ़ जाता है और दुःख हो तो बंट जाता है।अपनो के साथ समय कब बीत जाता है पता भी नहीं चलता।परंतु याद रखिए अपना वो जो विपत्ति के समय आपके साथ हो,अपनो की परख समय की कसौटी पर की जाती है और अपनो के साथ समय का पता नही चलता है पर समय के साथ अपनो का पता चल जाता है।

एक संस्कृत श्लोक उदाहरण के लिए-
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे,
राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स बान्धवः।। संस्कृत श्लोक-
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे,
राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स बान्धवः।।

बन्धु कौन है?सुभाषित मे इसकी परिभाषा दी गयी है,"उत्सव के दौरान,बुरे समय में,दुर्भिक्ष अर्थात् अकाल पडने के समय में,राष्ट्र में उपद्रव होने के समय में,राजदरबार में और श्मशान मे जो साथ रहता है वही बन्धु है।
#yqhindi 
#yqhindishayari 
#yqhindikavita
जीवन में समय चाहे सुख की हो या फिर दुःख की हो अपनो का साथ अत्यंत आवश्यक होता है।सुख हो तो बढ़ जाता है और दुःख हो तो बंट जाता है।अपनो के साथ समय कब बीत जाता है पता भी नहीं चलता।परंतु याद रखिए अपना वो जो विपत्ति के समय आपके साथ हो,अपनो की परख समय की कसौटी पर की जाती है और अपनो के साथ समय का पता नही चलता है पर समय के साथ अपनो का पता चल जाता है।

एक संस्कृत श्लोक उदाहरण के लिए-
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे,
राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स बान्धवः।। संस्कृत श्लोक-
उत्सवे व्यसने चैव दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवे,
राजद्वारे श्मशाने च यतिष्ठति स बान्धवः।।

बन्धु कौन है?सुभाषित मे इसकी परिभाषा दी गयी है,"उत्सव के दौरान,बुरे समय में,दुर्भिक्ष अर्थात् अकाल पडने के समय में,राष्ट्र में उपद्रव होने के समय में,राजदरबार में और श्मशान मे जो साथ रहता है वही बन्धु है।
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