तू नज़र आती है जब देखते चाँद!! टूट के बिखर जाते हैं सूखे पत्ते की तरह! जब आती है तेरी याद!! भूले नहीं हैं छोड़ा नहीं है साथ! तू तो रहती है हरपल धड़कनों की बनके साँस!! तरसते हैं हम भी क्योंकि तुम हो प्यास! बस सिलसिला-ए-गुफ़्तुगू बनाए रखना न छोड़ना कभी हाथ!! ©Deepak Bisht #दरमियां-ए-इश्क़