मधुशाला का नित्य निमंत्रण, जो दिलवा दे , मित्र वही है व्यथित हृदय हो पीडा में तब, विल्स जला दे , मित्र वही है सुंदर विपुल चंचला का, नंबर दिलवा दे , मित्र वही है मधु पात्रों में भर कर मदिरा, पैग बना दे , मित्र वही है सुरा विसुध हो जाऊँ जब मैं, घर पहुँचा दे , मित्र वही है!! ©Deep sea shayari of Deep sea