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Part-2 दृश्य देखिए। एक अधेड़ उम्र का मजदूर आदमी ज

Part-2
दृश्य देखिए। एक अधेड़ उम्र का  मजदूर आदमी जिसका
 शरीर बोझा ढो-ढोकर बिल्कुल पतला हो गया है।
 उसके शरीर में मानों हड्डियां ही शेष हो चर्बी कहीं दिखाई
 ही नहीं दे रही थी।वह व्यक्ति एक हाथ रिक्शा लिए
 हुए था। बात ये है कि अब ये पता नहीं चल पा रहा 
था कि वो उस रिक्शा को खिंच रहा है या  वो रिक्शा उसे
 घिस रहा है। मेने दो -तीन कदम पीछे लिए और उसकी
 तरफ हाथ बढ़ाते हुए रिक्शा का एक हिस्सा पकड़ 
लिया। जैसे ही उसने मेरी ओर देखा और बोला साहब
 पानी जबकि वह मेरी उम्र से काफी बड़ा था।
उसकी इस बात से मैं बड़ा अचंभित हुआ।
अचंभित होने का कारण यह नहीं था कि उसने मुझे साहब
 कहा बल्कि कारण ये था कि वो खुद जिस रिक्शा को खिच 
रहा था। वह पानी की बोतलो से लदा था। पर विडंबना तो 
देखिए जिस पानी के भार को वह खिंच रहा था। उसमें से 
पानी की एक भी बुंद वह पी नहीं सकता था । ऐसी अनेक 
दृश्य , अनेक घटनाएं  हमारे इस समाज में आज भी 
व्यापक रूप से घटित होती है की जिन्हें देखकर या 
सुनकर हृदय पसीज जाता है। और मनुष्य कुछ समय के
 लिए शुन्य सा हो जाता है।  विकास की कलम से......
                                  
                                            आर्य विकास

©Vikash Arya
  #पानी_की_व्यथा