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इतनी भी ज़ालिम ना बन उस खरोंच को याद रख ले बस करल

इतनी भी ज़ालिम ना बन 
उस खरोंच को याद रख ले
बस करले पक्का अपना मन
उन सभी को धूल चखने दे
जब याद आयेगी तुम्हारी 
ऐसा भी दिन आएगा 
जब बात आयेगी तुम्हारी 
ख्वाब छीन जाएगा
याद आयेगी तुम्हारी उनको
 फिर जख्म जाग जायेगा
 जब घाट आयेगी तुम्हारी उनको
फिर जोश भाग जाएगा
ये जंग है ज़िन्दगी का
रास्ता कठिन होगा
ये रंग है ज़िन्दगी का
दास्तां कठिन होगा
इतनी भी ज़ालिम ना बन 
उस खरोंच को याद रख ले
बस करले पक्का अपना मन
उन सभी को धूल चखने दे

©Mehak Mansoori #poem उस खरोंच को याद रख ले।
इतनी भी ज़ालिम ना बन 
उस खरोंच को याद रख ले
बस करले पक्का अपना मन
उन सभी को धूल चखने दे
जब याद आयेगी तुम्हारी 
ऐसा भी दिन आएगा 
जब बात आयेगी तुम्हारी 
ख्वाब छीन जाएगा
याद आयेगी तुम्हारी उनको
 फिर जख्म जाग जायेगा
 जब घाट आयेगी तुम्हारी उनको
फिर जोश भाग जाएगा
ये जंग है ज़िन्दगी का
रास्ता कठिन होगा
ये रंग है ज़िन्दगी का
दास्तां कठिन होगा
इतनी भी ज़ालिम ना बन 
उस खरोंच को याद रख ले
बस करले पक्का अपना मन
उन सभी को धूल चखने दे

©Mehak Mansoori #poem उस खरोंच को याद रख ले।