ज़रा सी देर क्या हो गई ज़रा सी देर क्या हो गई ज़िंदगी नाराज़ सी हो गई और वक्त की रेत पता नहीं कब हाथों से फिसल गई अभी चलना ही सीख रहा था के पैरों के नीचे की ज़मीन हिल गई लड़ खड़ाते हुए खड़े तो हो गए पर पैरों में हालातो की जंजीर पड़ गई सफ़र लंबा और रास्ता कठिन था पर उसपर चलना मजबुरी हो गई अपनों का भी साथ न था क्यों दिलोमे ये दूरी हो गई थक गया हूं अब चलते चलते लगता है ज़िंदगी अब पूरी हो गई मेरा मरना सस्ता हो गया और मेरी ज़िंदगी महंगी हो गई - राशि ©Rashi ज़रा सी देर क्या हो गई #RakeshShinde #hindipoem #hindikavita #Urdupoetry #urdupoem