एक बार निगाहें कर लीं आसमान की ओर और ललक उठ गई किसी तारे की, उसके बाद ज़मीन में खिंची हुई लकीरें ज़मीन में उठी हुई दीवारें मिट्टी में बंधे हुए ढर्रे फिर किसको याद रहते हैं? वो अपने आप छूट जाते हैं! ©praveen dubey #aacharya