तेरे हुस्न-ए-ज़माल पर दिल हमेशा बेक़रार रहा है, तेरी झुकी पलकें हमेशा उठनें का इंतज़ार रहा है। काश ऐसा हो कि दामन में तेरे फूल ही फूल रहे हमेशा, मेरे मुस्तक़बिल में तो हमेशा कारवाँ का गुबार रहा है। कर्ज़ तेरे इश्क़ का उतारना अब मुमक़िन नही हमसे, तीरगी फ़ैली है क़िस्मत में तो कहाँ रौशन दयार रहा है। ज़माल- ख़ूबसूरती दयार- क्षेत्र तीरगी-अंधेरा 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-46 में स्वागत करता है..🙏🙏