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जुल्फ़े,आंखे,रंग वो हुस्न का पहरा नहीं देखा।। मुकम

जुल्फ़े,आंखे,रंग वो हुस्न का पहरा नहीं देखा।।
मुकम्मल चाहा है उसे,कभी चेहरा नहीं देखा।। #देखा_ही_नहीं_कभी
जुल्फ़े,आंखे,रंग वो हुस्न का पहरा नहीं देखा।।
मुकम्मल चाहा है उसे,कभी चेहरा नहीं देखा।। #देखा_ही_नहीं_कभी