मेरी पहली मोहब्बत मेरा वतन हैं इसमे समया मेरा सारा तन हैं तुम्हारा रंग जो मिल जाये मुझ में… मैं भी खिल जाऊं, ऐ वतन में तुझमे खो जाऊ भवरों की तरह उस फूल की रशो में घुल जाऊ ऐसी तितली बन तेरे तिरंगे से लिपट जाऊ पड़ो तुम धूप बन के सुबह की.. मैं ओस हो जाऊं। परत इक धूल की जम सी गयी है मेरे दामन पर.., अगर तुम बूंद बन जाओ तो मैं फिरदौस हो जाऊं दुआ करो कि मेरा भारत फिर से महान बने । हर हिंदू विवेकानंद और हर मुसलमान कलाम बने।। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं🙏🏻 रितेश श्रीवास्तव hamara desh mahan