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आँधियों के साथ, क्या मन्ज़र सुहाने आये, आग लगाने वा

आँधियों के साथ,
क्या मन्ज़र सुहाने आये,
आग लगाने वाले ही,
आग बुझाने आये,
जल चुकी थी सख्सियत मेरी,
साजिश की आग में,
कम्बख़्त लौटकर वही राख उठाने आये।

©Vishesh #Path Anupriya बादल सिंह 'कलमगार' Adv Sony Khan NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Anshu writer
आँधियों के साथ,
क्या मन्ज़र सुहाने आये,
आग लगाने वाले ही,
आग बुझाने आये,
जल चुकी थी सख्सियत मेरी,
साजिश की आग में,
कम्बख़्त लौटकर वही राख उठाने आये।

©Vishesh #Path Anupriya बादल सिंह 'कलमगार' Adv Sony Khan NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) Anshu writer