कैसे बयां करूं अपने उन गमगीन बातों को एक टीस सा उठता है, तभी अपने अरमानों को शब्दों में पीरों कर लिख लेता हूं,उससे थोड़ा सुकून तो मिलता है, थामें हाथ वफाई का बढ़ा इतरा कर चल दिया, जब छूटा हाथ वफाई का तो बेवफाई ने मुझ को अपना लिया, सारी बात समझ आई जब ठोकर खाई हमने, वफाई-बेवफाई पर दोष नहीं जो लिखा था नसीब में बस वही पाया हमने। #नसीब#वफाई#बेवफाई#nojoto#nojotoquotes#nojotohindi#thought