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खुदा की इतनी रहमत थी , की बेटियों के होने से मेरे

खुदा की इतनी रहमत थी ,
की बेटियों के होने से मेरे आशियाने में बरकत थी  ।
हूं हिस्सा में भी उसी दुनिया का ,
जिस दुनिया को अक्सर बेटियों से ही नफ़रत थी   ।
अपनी उम्र के उस पड़ाव में जिन लोगो ने उम्मीदें रखी अपने खानदान के चिरागो से ,
उन्हीं आशियानों में उस घर की बेटियों ने ही रोशनी बिखेरी थी  ।
यही कारण था कि जब पूछा गया एक बाप से उसकी औलादों के बारे में 
उसने कहा बेटा मेरी जिंदगी की पहली जरूरत था ,पर
 मेरी बेटी ही मेरी आखिरी मोहब्बत थी ।
यही वो समाज था जहां कभी बेटियां अकेली थी ,
आज भी है वो ही समाज बस बदली थोड़ी सी रितिया थीं। 
जिस  समाज को कभी बेटा प्यारा था,
आज बेटियां भी उसी प्यार की अधिकारी थी ।
जिस पिता को नाज था महज बेटो पर आ,
आज उनकी भी बेटियां ही दुलारी थी ।
ये बात खुद आज समाज ने ही स्वीकारी थी ,
की बेटा अगर राजकुमार था उनके आंगन का तो बेटियां भी,
  उनके जिगर की राजकुमारी थी । #OpenPoetry
खुदा की इतनी रहमत थी ,
की बेटियों के होने से मेरे आशियाने में बरकत थी  ।
हूं हिस्सा में भी उसी दुनिया का ,
जिस दुनिया को अक्सर बेटियों से ही नफ़रत थी   ।
अपनी उम्र के उस पड़ाव में जिन लोगो ने उम्मीदें रखी अपने खानदान के चिरागो से ,
उन्हीं आशियानों में उस घर की बेटियों ने ही रोशनी बिखेरी थी  ।
यही कारण था कि जब पूछा गया एक बाप से उसकी औलादों के बारे में 
उसने कहा बेटा मेरी जिंदगी की पहली जरूरत था ,पर
 मेरी बेटी ही मेरी आखिरी मोहब्बत थी ।
यही वो समाज था जहां कभी बेटियां अकेली थी ,
आज भी है वो ही समाज बस बदली थोड़ी सी रितिया थीं। 
जिस  समाज को कभी बेटा प्यारा था,
आज बेटियां भी उसी प्यार की अधिकारी थी ।
जिस पिता को नाज था महज बेटो पर आ,
आज उनकी भी बेटियां ही दुलारी थी ।
ये बात खुद आज समाज ने ही स्वीकारी थी ,
की बेटा अगर राजकुमार था उनके आंगन का तो बेटियां भी,
  उनके जिगर की राजकुमारी थी । #OpenPoetry