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anil Malviya ©Anil Malviya My Review " virgin mot

anil Malviya

©Anil Malviya My Review " virgin mother " @bookstagram787 (Anil Malviya )
" वर्जिन मदर " इस उपन्यास का नाम जितना आप को आकर्षित करता है ,इसकी कहानी पढ़ने के दौरान आपको ओर ज्यादा आकर्षित करेगी ।वर्जिन मदर इस उपन्यास की कहानी इसके नाम से बिलकुल इतर है।

कहानी की रचनात्मकता और घटनाओं की स्पष्टता कहानी  की रोचकता को बढ़ाती है और हर पल कहानी सरप्राइस क्रिएट करती है और धीरे धीरे पत्तेदर-पत्ते कहानी खुलती  जाती है!
कहानी का अंत एक मार्मिक और प्यार की एक नई परिभाषा के सामंजस्य का दृष्टिगोचर करती है।
...कबीर और सुहाना दोनों के परिवार  बहुत बड़े बिजनेस परिवार हैं , दोनों के पिता के बीच में बिजनेस को लेकर गर्मागर्मी रहती है, कहानी की शुरुआत  सुहाना के बेटे" समय" और कबीर और काव्या के बेटे" अनुज "दोनों के बीच "यंग बिजनेसमैन आफ द ईयर " अवार्ड से होती है ।।
कहानी की मुख्य किरदार सुहाना कबीर से प्यार करती थी,लेकिन वह उसे कभी पा नहीं सकी , दुसरी ओर कबीर को प्यार करने वाली "काव्या" कबीर को पाने के लिए अपनी आंटी सुचिता के साथ षडयंत्र रचती  है और सुहाना और उसके पापा पर गंभीर आरोप लगाती हैं और जिससे  कबीर और सुहाना  के बीच में दूरी आ जाती हैं, जिससे उनका रिश्ता टूट जाता है।  
सुहाना कबीर से सच्चा प्यार करती थी,  उसने कबीर के लिए अपने प्यार को सच्चा साबित करने के लिए "कभी शादी ना करने का फैसला लेती है" और वह 24 साल के बाद भी कबीर से उतना ही सच्चा और शिद्दत से प्यार करती है । सुहाना हर दम अपने प्यार को निभाती है , लेकिन कबीर को अपने प्यार पर इतना भी विश्वास नहीं था, कि वह एक बार सुहाना से बात करके उसकी तसल्ली कर ले , कबीर को सच्चाई का पता चलता तो उसे बहुत सारा पछतावा ,ये मलाल जीवन में बहुत दुख देता है।
anil Malviya

©Anil Malviya My Review " virgin mother " @bookstagram787 (Anil Malviya )
" वर्जिन मदर " इस उपन्यास का नाम जितना आप को आकर्षित करता है ,इसकी कहानी पढ़ने के दौरान आपको ओर ज्यादा आकर्षित करेगी ।वर्जिन मदर इस उपन्यास की कहानी इसके नाम से बिलकुल इतर है।

कहानी की रचनात्मकता और घटनाओं की स्पष्टता कहानी  की रोचकता को बढ़ाती है और हर पल कहानी सरप्राइस क्रिएट करती है और धीरे धीरे पत्तेदर-पत्ते कहानी खुलती  जाती है!
कहानी का अंत एक मार्मिक और प्यार की एक नई परिभाषा के सामंजस्य का दृष्टिगोचर करती है।
...कबीर और सुहाना दोनों के परिवार  बहुत बड़े बिजनेस परिवार हैं , दोनों के पिता के बीच में बिजनेस को लेकर गर्मागर्मी रहती है, कहानी की शुरुआत  सुहाना के बेटे" समय" और कबीर और काव्या के बेटे" अनुज "दोनों के बीच "यंग बिजनेसमैन आफ द ईयर " अवार्ड से होती है ।।
कहानी की मुख्य किरदार सुहाना कबीर से प्यार करती थी,लेकिन वह उसे कभी पा नहीं सकी , दुसरी ओर कबीर को प्यार करने वाली "काव्या" कबीर को पाने के लिए अपनी आंटी सुचिता के साथ षडयंत्र रचती  है और सुहाना और उसके पापा पर गंभीर आरोप लगाती हैं और जिससे  कबीर और सुहाना  के बीच में दूरी आ जाती हैं, जिससे उनका रिश्ता टूट जाता है।  
सुहाना कबीर से सच्चा प्यार करती थी,  उसने कबीर के लिए अपने प्यार को सच्चा साबित करने के लिए "कभी शादी ना करने का फैसला लेती है" और वह 24 साल के बाद भी कबीर से उतना ही सच्चा और शिद्दत से प्यार करती है । सुहाना हर दम अपने प्यार को निभाती है , लेकिन कबीर को अपने प्यार पर इतना भी विश्वास नहीं था, कि वह एक बार सुहाना से बात करके उसकी तसल्ली कर ले , कबीर को सच्चाई का पता चलता तो उसे बहुत सारा पछतावा ,ये मलाल जीवन में बहुत दुख देता है।
anilmalviya1833

Anil Malviya

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My Review " virgin mother " @bookstagram787 (Anil Malviya ) " वर्जिन मदर " इस उपन्यास का नाम जितना आप को आकर्षित करता है ,इसकी कहानी पढ़ने के दौरान आपको ओर ज्यादा आकर्षित करेगी ।वर्जिन मदर इस उपन्यास की कहानी इसके नाम से बिलकुल इतर है। कहानी की रचनात्मकता और घटनाओं की स्पष्टता कहानी की रोचकता को बढ़ाती है और हर पल कहानी सरप्राइस क्रिएट करती है और धीरे धीरे पत्तेदर-पत्ते कहानी खुलती जाती है! कहानी का अंत एक मार्मिक और प्यार की एक नई परिभाषा के सामंजस्य का दृष्टिगोचर करती है। ...कबीर और सुहाना दोनों के परिवार बहुत बड़े बिजनेस परिवार हैं , दोनों के पिता के बीच में बिजनेस को लेकर गर्मागर्मी रहती है, कहानी की शुरुआत सुहाना के बेटे" समय" और कबीर और काव्या के बेटे" अनुज "दोनों के बीच "यंग बिजनेसमैन आफ द ईयर " अवार्ड से होती है ।। कहानी की मुख्य किरदार सुहाना कबीर से प्यार करती थी,लेकिन वह उसे कभी पा नहीं सकी , दुसरी ओर कबीर को प्यार करने वाली "काव्या" कबीर को पाने के लिए अपनी आंटी सुचिता के साथ षडयंत्र रचती है और सुहाना और उसके पापा पर गंभीर आरोप लगाती हैं और जिससे कबीर और सुहाना के बीच में दूरी आ जाती हैं, जिससे उनका रिश्ता टूट जाता है। सुहाना कबीर से सच्चा प्यार करती थी, उसने कबीर के लिए अपने प्यार को सच्चा साबित करने के लिए "कभी शादी ना करने का फैसला लेती है" और वह 24 साल के बाद भी कबीर से उतना ही सच्चा और शिद्दत से प्यार करती है । सुहाना हर दम अपने प्यार को निभाती है , लेकिन कबीर को अपने प्यार पर इतना भी विश्वास नहीं था, कि वह एक बार सुहाना से बात करके उसकी तसल्ली कर ले , कबीर को सच्चाई का पता चलता तो उसे बहुत सारा पछतावा ,ये मलाल जीवन में बहुत दुख देता है।