लंगर के पिज्जे तो तुम्हें दिख गये, दिसम्बर की ठंड तुम्हें दिखी नहीं। ढूंढने में लग गये तुम देशद्रोही, इन किसानों में रिटायर फौजी तुम्हें दिखे नहीं। इन्हीं के बेटे लड़ रहे हैं सरहद पर, इनके किये उपकार तुम्हें दिखे नहीं। तन-मन समर्पित है इनका इस मिट्टी को, भला क्यूँ ये किसान भाई तुम्हें दिखे नहीं। फ़ंडिंग किसने की ये तुम पूछते हो, लॉक डाउन में किये दान तुम्हें दिखे नहीं। भगत सिंह को भी टेररिस्ट कहा गया था कभी, इन सरकारों के झूठे बयान तुम्हें दिखे नही। मसाज करती कुछ मशीनें तो तुम्हें दिख गईं, पैरों के जख्म तुम्हें दिखे नहीं। लंगर के काजू-बादाम तो तुम्हें दिख गये, इन बुजुर्ग किसानों के बलिदान तुम्हें दिखे नहीं। आजाओ बचा लो पूँजीपत्तियो से देश को, ऐसा ना हो कि फ़िर कभी किसान दिखे नहीं। किसान एकता जिंदाबाद👍 #IndiaWithFarmers #KisanAndolan #Youth4Farmers #किसान_एकता_मोर्चा ©MANJEET SINGH THAKRAL लंगर के पिज्जे तो तुम्हें दिख गये, दिसम्बर की ठंड तुम्हें दिखी नहीं। ढूंढने में लग गये तुम देशद्रोही, इन किसानों में रिटायर फौजी तुम्हें दिखे नहीं। इन्हीं के बेटे लड़ रहे हैं सरहद पर, इनके किये उपकार तुम्हें दिखे नहीं। तन-मन समर्पित है इनका इस मिट्टी को, भला क्यूँ ये किसान भाई तुम्हें दिखे नहीं।