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# साहित्य हिंदी कविता।। __________&&&& है का

# साहित्य हिंदी कविता।। 
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 है  कायर पुरुषों की पहचान झूठा है सारा अभिमान।। 
घूँघट की कोई लाज नही ना मान न कोई स्वाभिमान।। 
देख रहा हूँ कुछ पुरुषों का पुरुषार्थ मर गया लगता है।
परिणाम स्वरूप हृदय अंतर्गत स्वार्थ भर गया लगता।। 
इसी लिए समान भूल वनिता को आगे करते हैं। 
स्वाभिमान सम्मान त्याग लघु कार्य अभागे करते हैं।। 
धन और प्रशंशा तुच्छ हेतु मरियादा विक्रय करते हैं। 
पुरुष नहीं कापुरुष हैं वो केवल असत्य क्रय करते हैं।। 
लाज को अपनी नग्न करें निज हाथों निज नयनों संमुख। 
क्योकि अति माहत्वांक्षा इनकी आत्मा का सच्चा सुख।। 
वनिता नग्न स्वयं करते भगिनी से नृत्य कराते हैं। 
धन और प्रशंशा प्राप्ति हेतु पश्चिमी कृत्य करवाते हैं।। 
मेला लगवाते हैं घर में मुख  पोथी प्रचार भी करते हैं।
निज लाज और मर्यादाओं का झूठे संचार पे मरते है।। कोई वोट की इक्षा रखता है कोई लाइक और फॉलोअर की। 
इन सबके हेतु बेचता ये पुरुष लाज अपने घर की।। 
पुरुषार्थ मर गया है इनका यदि है तो नपुंसकता जीवित। 
प्रत्येक अहम झूठ इनका आकांक्षा नहीं रही सीमित।। 
गर्व करें नंगे पन पर है सोच ये इनकी पुरुष है ये। 
डंके की चोट मै कहता हूँ ये पुरुष नही कापुरुष है ये।। 
             आशुतोष अमन 🙏🙏
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©Aashutosh Aman.
  
  #कायर पुरुषों की पहचान

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