रुग्णता! प्रतिरोधक क्षमता के ह्रास से उपजी स्वनिर्मित अवस्था है.. प्रतिरोध के अणुओं को शिथिल करने की कला में पारंगत विषाणु विरोध की मौलिक व्यवस्था में भेद उत्पन्न कर, पारस्परिक संरचनात्मक गठन को प्रभावित करने की वैशिष्ट्यता का दक्षता से प्रयोग, विरोधी गुणधर्म को विखण्डन प्रक्रिया में ढकेल देती है.. तदन्तर.. साम-दाम और दण्डानुरागी, चैत्यनता के बोध से प्राप्त उदण्डात्मक फल निर्विरोध हो जाता है| फलत: रूग्णता की व्यापकता विरोध -प्रतिरोध को आत्मसात कर निर्वीर्य कर देती है| ©Shubhendra Jaiswal #शुभाक्षरी #विरोध #प्रतिरोध #भेद #गुणधर्म